सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक स्वयंभू बाबा खुलेआम एक महिला के साथ रोमांस करता हुआ नजर आ रहा है। न कोई शर्म, न कोई डर, और न ही किसी धर्म या मर्यादा की भावना। ये वही बाबा हैं जो मंच पर बैठकर प्रवचन देते हैं, लोगों को संयम, ब्रह्मचर्य और मोक्ष की बात समझाते हैं। लेकिन जैसे ही कैमरा खुला, बाबाजी की रासलीला का लाइव शो शुरू हो गया।
वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि बाबा किसी गुफा या कमरे में आराम से बैठे हैं और उनके पास एक महिला भी मौजूद है। दोनों के बीच के हावभाव ऐसे हैं जैसे किसी सीरियल या मूवी का रोमांटिक सीन चल रहा हो। लेकिन फर्क बस इतना है कि ये कोई फिल्म नहीं, बल्कि एक ढोंगी बाबा की असली सच्चाई है – वो भी बिना किसी पर्दे के।
आज के समय में जब हर कोई स्मार्टफोन इस्तेमाल कर रहा है, तब ऐसी घटनाएं छिप नहीं सकतीं। और ये अच्छी बात है, क्योंकि इन बाबाओं का असली चेहरा सामने आना अब बहुत जरूरी हो गया है। सोशल मीडिया ने इन पाखंडी धर्मगुरुओं की पोल खोल दी है, जो सालों से धर्म की आड़ में लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
विडंबना देखिए – जो बाबा मंच पर बैठकर लोगों को ‘काम’ और ‘वासना’ पर नियंत्रण करने की सीख देते हैं, वही बाबा बंद कमरे में खुद कामवासना के खेल में लगे होते हैं। ऐसे बाबाओं को देखने के बाद आम आदमी का धर्म से भरोसा ही उठने लगता है। असली साधु-संतों की छवि भी इन ढोंगियों के कारण बदनाम हो जाती है।
इस वीडियो के सामने आने के बाद जनता में गुस्सा है, लेकिन साथ ही एक बड़ा सवाल भी – कब तक ऐसे लोग धर्म की दुकान चलाते रहेंगे? कब तक जनता अंधभक्ति में डूबी रहेगी और आंख मूंदकर इन पाखंडियों को पूजती रहेगी? क्या धर्म सिर्फ इतना ही रह गया है कि कोई भी चोला पहन ले, कुछ संस्कृत के श्लोक बोल ले, और भीड़ उसे भगवान मान ले?
सबसे खतरनाक बात ये है कि ऐसे बाबाओं के लाखों फॉलोअर्स होते हैं। सोशल मीडिया पर इनके नाम से पेज चलते हैं, यूट्यूब पर इनके प्रवचनों के करोड़ों व्यूज़ होते हैं। लोग अपनी कमाई का पैसा इनपर न्योछावर करते हैं, अपने बच्चों की शादी, घर की पूजा सब इनकी सलाह पर करते हैं। और बदले में मिलता है – धोखा।
इस पूरे मामले में अब तक कोई ठोस कानूनी कार्रवाई की खबर नहीं आई है। ये दिखाता है कि कैसे धर्म के नाम पर अपराध करने वालों को कानून से भी डर नहीं लगता। उन्हें पता है कि अगर मामला उठा भी, तो कुछ दिनों में लोग भूल जाएंगे, और फिर वही मंच, वही प्रवचन, और वही ड्रामा शुरू हो जाएगा।
ये वक्त है जब जनता को खुद जागरूक होना पड़ेगा। आंखें खोलनी होंगी और सवाल पूछने होंगे – क्या जो दिख रहा है, वो सच में धर्म है? या फिर धर्म के नाम पर सिर्फ धोखा और हवस की मंडी चला रहे हैं ये ढोंगी?
बाबाजी की रासलीला सिर्फ एक वीडियो नहीं है, ये हमारे समाज की उस बीमारी का संकेत है जिसे हमने खुद पाला-पोसा है – अंधभक्ति। जब तक हम सोचते रहेंगे कि ‘बाबा कुछ भी करें, वो भगवान हैं’, तब तक ऐसे वीडियो सामने आते रहेंगे और हम सिर पकड़कर बस देखते रहेंगे।
धर्म कोई तमाशा नहीं है, और साधु कोई अभिनेता नहीं होता। असली साधु वो होता है जो भीतर से पवित्र हो, जिसका हर कर्म समाज के लिए हो, और जिसकी नजर सिर्फ ईश्वर पर हो – न कि किसी महिला के शरीर पर।
अब भी समय है – असली और नकली बाबा में फर्क करना सीखिए। नहीं तो अगली बार ऐसी रासलीला आपके मोहल्ले में भी लाइव देखने को मिल सकती है।
धर्म की रक्षा करनी है तो पहले पाखंड को पहचानो।
