मैंने सिर्फ मोटिवेशनल YouTube चैनल पर फोकस किया – और वहीं से कमाई की शुरुआत हुई”

जब मैंने पहली बार YouTube पर वीडियो डालना शुरू किया, तब मुझे लगा था कि बस वीडियो डाल दो, व्यूज़ अपने-आप आ जाएंगे, और कुछ महीनों में चैनल से पैसा भी आने लगेगा। लेकिन हकीकत इससे काफी अलग थी। शुरुआत में मैं हर तरह का वीडियो डाल रहा था—कभी फनी, कभी टेक्नोलॉजी, कभी मोटिवेशन, और कभी फैक्ट्स। कोई direction नहीं थी, और न ही कोई प्लानिंग। एक दिन सोचा, अगर मैं खुद नहीं जानता कि मेरा चैनल किसके लिए है, तो ऑडियंस कैसे जानेगी? उस दिन से मैंने फैसला किया कि अब एक ही niche पर काम करूंगा। और वो था—Motivation।

मैंने मोटिवेशन इसलिए चुना क्योंकि खुद उस दौर से गुजर रहा था जब जिंदगी में बहुत कुछ गलत चल रहा था—न नौकरी थी, न पैसा, न कोई direction। मैं खुद motivational videos देखता था, खासकर Sandeep Maheshwari, Vivek Bindra और Jay Shetty की बातें मुझे अंदर से हिला देती थीं। मुझे लगा, अगर मैं अपने जैसे लोगों तक ये बात पहुंचा सकूं, तो शायद उन्हें भी कुछ हिम्मत मिले। और वहीं से मेरा मोटिवेशनल YouTube चैनल शुरू हुआ।

शुरुआत बहुत बेसिक थी। मेरे पास न कैमरा था, न माइक्रोफोन, न कोई लैपटॉप। बस एक पुराना Redmi Note 10 मोबाइल था। सबसे पहली वीडियो मैंने अपने फोन के माइक्रोफोन से रिकॉर्ड की। बैकग्राउंड म्यूज़िक फ्री साइट्स से लिया और वीडियो बनाने के लिए मैंने InShot App इस्तेमाल किया। बैकग्राउंड के लिए Canva से एक सिंपल इमेज ली और उसी पर टेक्स्ट डालकर वीडियो बना दी। मेरी पहली वीडियो का टाइटल था – “तू खुद की तलाश कर भाई – Powerful Motivation in Hindi”। उस वीडियो पर पहले दिन सिर्फ 23 views आए। हिम्मत थोड़ी टूटी, लेकिन फिर याद आया कि मैं खुद कितनी बार ऐसे वीडियो देख कर उठा हूं – तो मैंने तय किया कि views भले न आएं, मैं रुकूंगा नहीं।

धीरे-धीरे मैंने कंटेंट बनाना सीखा। सबसे पहले, मैंने YouTube पर ये सीखा कि लोगों को कौन-सी बातें छू जाती हैं। Quora, Reddit, और Instagram के motivational pages के कमेंट्स पढ़ने लगा। वहां से मुझे पता चला कि आज का आम इंसान कौन-सी बातों से जूझ रहा है – नौकरी की चिंता, घर की ज़िम्मेदारियाँ, खुद पर भरोसा न होना। बस, मैंने इन्हीं टॉपिक्स पर 1.5 से 2 मिनट की स्क्रिप्ट्स लिखनी शुरू कीं। भाषा सिंपल रखी, जैसे मैं अपने छोटे भाई से बात कर रहा हूं। ना बड़ी बड़ी अंग्रेज़ी लाइनें, ना ड्रामेबाज़ी – बस दिल से निकली बातें।

Voice-over के लिए मैंने कोई माइक्रोफोन नहीं खरीदा। मैंने अपने फोन का ही माइक्रोफोन यूज़ किया। हां, शुरुआत में आवाज में थोड़ी noise रहती थी, लेकिन मैंने एक app खोज लिया – Dolby On, जो background noise को काफी हद तक हटा देता है। फिर वीडियो के लिए Canva से स्लाइड्स बनाता, या कभी-कभी Pexels से कुछ फ्री motivational videos यूज़ करता। बैकग्राउंड में soft piano या violin जैसा संगीत रखता, जिससे वीडियो में एक भावनात्मक टच आए।

धीरे-धीरे मेरी मेहनत रंग लाने लगी। कुछ वीडियो 1000 views पार करने लगे, फिर 5000, और फिर एक वीडियो ने अचानक 50,000 views पार कर लिए। वहीं से सब बदला। सब्सक्राइबर बढ़ने लगे, और मैं धीरे-धीरे YouTube के 1000 subscribers और 4000 watch hours वाले मोड़ पर पहुंच गया। जब मुझे YouTube का email आया कि “आपका चैनल अब monetized है”, उस दिन मेरी आंखों में आंसू थे। वो सिर्फ पैसे की बात नहीं थी – वो मेहनत के मान्यता की बात थी।

अब मेरा चैनल हर महीने ₹10,000 से ₹25,000 तक कमा रहा है। और ये शुरुआत है। अभी भी मैं अपने फोन से ही काम करता हूं। कुछ दोस्तों ने कहा, “अब लैपटॉप खरीद ले”, लेकिन मुझे लगता है कि जब तक सब कुछ फोन से हो रहा है, मुझे वही रास्ता अपनाना है। मैं अब हफ्ते में 3 वीडियो डालता हूं – हर वीडियो को लिखता हूं, बोलता हूं, बनाता हूं – और पूरा कंट्रोल मेरे हाथ में है।

सबसे बड़ी बात जो मैंने सीखी वो ये है: YouTube पर सक्सेस का राज quantity में नहीं, consistency और clarity में है। आपको पता होना चाहिए कि आप क्या बना रहे हो, क्यों बना रहे हो, और किसके लिए बना रहे हो। अगर आपके वीडियो किसी एक इंसान की भी जिंदगी में थोड़ा बदलाव लाते हैं, तो वो वीडियो सफल है – चाहे उस पर 10 views आए या 10 लाख।

अगर आप YouTube शुरू करना चाहते हैं, तो सिर्फ एक चीज़ चुनिए। एक niche, जो आपके दिल से जुड़ी हो। एक टॉपिक, जिस पर आप बिना views की चिंता किए भी 6 महीने तक कंटेंट बना सको। मैंने सिर्फ motivational niche को पकड़ा और पूरी तरह से उसमें डूब गया। न टेक में हाथ मारा, न व्लॉग में – सिर्फ मोटिवेशन। और वही मेरा turning point बना।

अगर आपके पास सिर्फ एक फोन है, और दिल में आग है – तो YouTube पर आपकी जगह पक्की है।

Leave a Comment