ये कोई ऑफिस नहीं!” – अली फज़ल ने दीपिका की 8 घंटे वाली मांग पर उठाए सवाल, जानें क्या बोले

बॉलीवुड इंडस्ट्री में वर्क-लाइफ बैलेंस और सेट पर काम के घंटे हमेशा से चर्चा का विषय रहे हैं। हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान एक्टर अली फज़ल ने दीपिका पादुकोण के उस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने फिल्म सेट्स पर ‘8 घंटे की शिफ्ट’ की वकालत की थी। दीपिका ने कुछ समय पहले कहा था कि फिल्म इंडस्ट्री में भी बाकी प्रोफेशन की तरह फिक्स घंटे होने चाहिए ताकि कलाकारों और क्रू मेंबर्स को थकान और मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं से राहत मिले।

लेकिन अली फज़ल इस सोच से पूरी तरह सहमत नहीं हैं। उन्होंने बेबाकी से कहा, “ये कोई कॉर्पोरेट ऑफिस की नौकरी नहीं है कि आप सुबह 9 बजे आएं और शाम को 5 बजे निकल जाएं। एक फिल्म बनाना एक क्रिएटिव प्रोसेस है, जिसमें कभी-कभी वक्त की सीमा नहीं होती।”

“कभी 16 घंटे लगते हैं, कभी 4 में हो जाता है सीन”

अली ने आगे कहा कि फिल्म की शूटिंग एक बहुत ही अनप्रेडिक्टेबल प्रोसेस है। “कभी-कभी एक इमोशनल सीन को ठीक से शूट करने में 16 घंटे भी लग सकते हैं, और कभी कोई कॉमेडी सीक्वेंस 4 घंटे में भी निपट जाता है। ऐसे में आप क्रिएटिव फील्ड को टाइम स्लॉट में कैसे बांध सकते हैं?” उन्होंने यह भी जोड़ा कि एक आर्टिस्ट का काम सिर्फ डायलॉग बोलना या कैमरे के सामने आना नहीं होता, बल्कि उसके पीछे घंटों की मेहनत, तैयारी, इमोशनल इन्वॉल्वमेंट और कभी-कभी फिजिकल थकावट भी होती है।

“काम का जुनून हो, तभी बनती है यादगार फिल्में”

अली ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि कई बार उन्होंने लगातार 18-20 घंटे भी काम किया है क्योंकि वो उस कैरेक्टर में पूरी तरह डूबे हुए थे। “जब आप किसी कहानी को पूरी सच्चाई से दिखाना चाहते हो, तो घड़ी देखना बंद करना पड़ता है। कुछ सीन ऐसे होते हैं जो रात को ही शूट हो सकते हैं या खास लोकेशन पर ही मुमकिन होते हैं, तो वहाँ टाइम लिमिट लगाना फिल्म के साथ नाइंसाफी होगी।”

“मैं दीपिका की सोच की इज़्ज़त करता हूं, लेकिन…”

हालांकि अली ने साफ किया कि वह दीपिका की बातों की इज्ज़त करते हैं और इस बहस को सही दिशा में जाने देना चाहिए। उन्होंने कहा, “मैं समझता हूं कि हेल्थ और वेलनेस ज़रूरी है, लेकिन हमें इंडस्ट्री की रियलिटी भी समझनी होगी। एक हद तक नियम लागू किए जा सकते हैं, लेकिन पूरी तरह से ऑफिस कल्चर बनाना मुमकिन नहीं है।”

इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर फैंस के बीच भी दो राय देखने को मिल रही है। कुछ लोग दीपिका की ‘वर्क-लाइफ बैलेंस’ वाली सोच के समर्थन में हैं तो कुछ अली फज़ल की ‘क्रिएटिविटी की कोई टाइम लिमिट नहीं होती’ वाली थ्योरी को सही ठहरा रहे हैं।

बॉलीवुड में काम करने के तरीके को लेकर यह बहस नई नहीं है, लेकिन जब स्टार्स जैसे अली फज़ल और दीपिका पादुकोण जैसे नाम इसे ओपनली डिसकस करते हैं, तो इंडस्ट्री के काम करने के तौर-तरीकों को लेकर एक नई सोच ज़रूर जन्म लेती है।

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