उत्तर प्रदेश सरकार ने गरीबी हटाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम उठाते हुए ‘जीरो पॉवर्टी स्कीम’ शुरू की है, जिसका उद्देश्य राज्य के बेहद गरीब और आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों को सशक्त बनाना है। इस योजना के तहत सरकार का लक्ष्य है कि गरीब परिवारों के एक सदस्य को 18,400 रुपये महीने की सैलरी वाली नौकरी के योग्य बनाया जाए। यह योजना ना सिर्फ रोजगार बढ़ाने का काम करेगी, बल्कि उत्तर प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा देने वाली साबित हो सकती है।
इस योजना की खास बात यह है कि यह सिर्फ पैसे या अनुदान देने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके जरिए सरकार हर पात्र परिवार के एक सदस्य को ट्रेनिंग देगी, ताकि वो स्थायी नौकरी हासिल कर सके। इसका सीधा मतलब है कि अब राज्य के गरीब परिवार किसी सरकारी सहायता पर निर्भर नहीं रहेंगे, बल्कि खुद अपनी रोज़ी-रोटी कमाने में सक्षम बनेंगे। इस प्रकार की सोच और कार्यशैली सरकार की मंशा को दर्शाती है कि अब गरीबी को सिर्फ आंकड़ों से नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर खत्म किया जाएगा।
इस स्कीम के अंतर्गत जिन परिवारों का चयन होगा, उनमें से एक सदस्य को सरकार की ओर से विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी। यह ट्रेनिंग किसी खास स्किल या हुनर पर आधारित होगी, जो वर्तमान बाज़ार में डिमांड में हो। उदाहरण के लिए कंप्यूटर, टेली-कॉलिंग, हेल्थ वर्क, इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर या किसी भी दूसरे सेक्टर से जुड़ी ट्रेनिंग जिसमें ट्रेन होने के बाद व्यक्ति को तुरंत नौकरी मिल सके। इसके लिए सरकार निजी कंपनियों, ट्रेनिंग संस्थानों और औद्योगिक इकाइयों से साझेदारी कर रही है, ताकि ट्रेनिंग पूरी होते ही इन युवाओं को नौकरी भी मिल सके।
अब बात करें पात्रता की, तो यह योजना केवल उत्तर प्रदेश के स्थायी निवासियों के लिए है। इसके अलावा आवेदनकर्ता का परिवार गरीबी रेखा से नीचे आता हो या उसकी मासिक आमदनी बहुत ही कम होनी चाहिए। ऐसे परिवार जिनमें कोई भी सदस्य स्थायी रूप से कमाई नहीं कर रहा है, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। आवेदनकर्ता की उम्र 18 से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए और वह मानसिक एवं शारीरिक रूप से नौकरी के लिए सक्षम होना चाहिए।
आवेदन की प्रक्रिया को लेकर अभी सरकार ने पूरी जानकारी साझा नहीं की है, लेकिन यह तय माना जा रहा है कि जैसे ही योजना का पायलट प्रोजेक्ट सफल होगा, इसके लिए एक पोर्टल लांच किया जाएगा जहां ऑनलाइन आवेदन किए जा सकेंगे। साथ ही ज़िलों में विशेष कैंप लगाए जाएंगे जहां लोगों को आवेदन करने में सहायता दी जाएगी। इस प्रक्रिया में ग्राम पंचायत, ब्लॉक स्तर पर अधिकारी और स्वयं सहायता समूहों की मदद ली जाएगी ताकि हर जरूरतमंद तक योजना की जानकारी पहुंच सके।
इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह गरीबों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक पुख्ता कदम है। जहां पहले योजनाओं में केवल राशन या नगद सहायता दी जाती थी, वहीं यहां उन्हें कमाई का जरिया दिया जा रहा है। 18,400 रुपये की स्थायी नौकरी किसी भी गरीब परिवार की जिंदगी पूरी तरह बदल सकती है — बच्चे पढ़ सकते हैं, घर चल सकता है, और सम्मान से जीने का हक मिल सकता है।
इसके अलावा यह योजना समाज में एक सकारात्मक संदेश भी फैलाएगी कि सरकार सिर्फ सहायता नहीं बल्कि अवसर दे रही है। युवा वर्ग में आत्मविश्वास बढ़ेगा और रोजगार के क्षेत्र में नए रास्ते खुलेंगे। अगर यह योजना सफल होती है तो आने वाले समय में इसे दूसरे राज्यों में भी अपनाया जा सकता है।
सरकार की कोशिश यही है कि वर्ष 2025 तक कम से कम एक लाख ऐसे गरीब परिवारों को इस योजना के तहत गरीबी रेखा से ऊपर लाया जा सके। इसके लिए बजट, प्रशिक्षण संसाधन और निजी क्षेत्र की भागीदारी को मज़बूती दी जा रही है।
फिलहाल योजना अपने शुरुआती चरण में है लेकिन इसके पीछे की सोच और मंशा बेहद स्पष्ट है — गरीबों को सहारा नहीं, अवसर दो। इस दिशा में अगर नीति और अमल दोनों ईमानदारी से किए जाएं, तो उत्तर प्रदेश आने वाले वर्षों में गरीबी मुक्त राज्यों की सूची में गिना जा सकता है।
