Saiyaara फिल्म रिव्यू: मोहित सूरी की सबसे इमोशनल और असरदार लव स्टोरी, जो न्यूकमर्स के बावजूद दिल जीत लेती है

इन दिनों जब बॉलीवुड में कंटेंट की जगह शोरगुल ज़्यादा हो गया है, जब एक-एक फिल्म सिर्फ स्टार पावर और मार्केटिंग के दम पर चलती है, ऐसे में Saiyaara जैसी फिल्म आना किसी ताज़ी हवा के झोंके से कम नहीं है। मोहित सूरी इस बार न्यूकमर्स के साथ आए हैं, लेकिन जो दिल में जगह बनती है, वो स्टारडम से नहीं, इमोशन से बनती है — और यही इस फिल्म की सबसे बड़ी जीत है।

फिल्म की कहानी बेहद सरल है, लेकिन इसी सादगी में असली सुंदरता छुपी है। दो नौजवानों की मुलाक़ात, उनके बीच पनपता रिश्ता, प्यार की मिठास, समाज और परिवार से टकराव, और अंत में एक ऐसा मोड़ जो दिल को चीर कर रख देता है। यह कोई नई कहानी नहीं है, लेकिन जिस तरह इसे पेश किया गया है, वो इसे खास बनाता है।

मोहित सूरी की फिल्मों की एक पहचान होती है — जब शब्द कम पड़ जाएं तो म्यूजिक बोलता है। और Saiyaara इसका सबसे ताज़ा उदाहरण है। इस फिल्म का संगीत सिर्फ गाने नहीं देता, बल्कि हर दृश्य में भावनाओं की गहराई को बढ़ा देता है। चाहे वो पहले प्यार की मासूमियत हो या बिछड़ने की पीड़ा, हर सीन में बैकग्राउंड स्कोर ऐसा है जैसे वो आपके अंदर उतर जाए।

अब बात करें एक्टिंग की तो फिल्म में कोई बड़ा चेहरा नहीं है, लेकिन जो नए चेहरे हैं उन्होंने दिल जीत लिया है। उनके एक्सप्रेशन्स, उनका संवाद बोलने का तरीका, और सबसे बढ़कर — उनकी केमिस्ट्री, सब कुछ बहुत ही नेचुरल है। ऐसा लगता ही नहीं कि आप एक्टिंग देख रहे हैं, बल्कि एक सच्ची कहानी को किसी कोने से देख रहे हैं। यही तो होती है सिनेमा की ताकत — जब परदे की दुनिया, आपकी अपनी ज़िंदगी से मिल जाए।

फिल्म की लोकेशन्स, कैमरा वर्क और कलर टोन एकदम शानदार हैं। कोई ओवरड्रामेटिक नहीं है, कोई अनावश्यक डायलॉग्स नहीं हैं। हर चीज़ इतनी बैलेंस्ड है कि फिल्म एक कविता जैसी लगती है — सरल, सच्ची और सजीव।

अब बात करते हैं उस वजह की जो इसे मोहित सूरी की अब तक की सबसे बड़ी हिट बना सकती है। दरअसल, पिछले कुछ सालों में बॉलीवुड को उस लेवल की रोमांटिक फिल्म नहीं मिली जो दिल को छू जाए। न सच्चे इमोशन थे, न ही मजबूत स्क्रिप्ट। Saiyaara वो गैप भरती है। और दर्शक यही तो चाहते हैं — एक फिल्म जो उन्हें रुलाए भी, हँसाए भी और सोचने पर मजबूर भी करे।

इसके अलावा जो बात इस फिल्म को और मजबूती देती है वो है इसका यंग टारगेट ऑडियंस। आज की जनरेशन इंस्टाग्राम रिलेशनशिप्स और शॉर्ट टर्म फीलिंग्स में उलझी है, लेकिन Saiyaara उन्हें सिखाती है कि प्यार का मतलब सिर्फ साथ रहना नहीं होता, बल्कि एक-दूसरे को समझना होता है, अपनी खुद की पहचान में रहते हुए प्यार को बनाए रखना होता है।

फिल्म का क्लाइमैक्स आपको सोचने पर मजबूर करता है। ये कोई हैप्पी एंडिंग वाली स्टोरी नहीं है, लेकिन ये ऐसी स्टोरी है जो दिल में उतर जाती है। आप सिनेमा हॉल से बाहर निकलते हुए चुप होते हैं, लेकिन अंदर बहुत कुछ चल रहा होता है। और यही किसी फिल्म की सबसे बड़ी ताकत होती है।

कुछ छोटी-मोटी कमज़ोरियाँ ज़रूर हैं। सेकेंड हाफ थोड़ा स्लो महसूस हो सकता है, कुछ सीन्स खिंचे हुए लग सकते हैं। लेकिन कुल मिलाकर ये फिल्म एक अनुभव है — और अनुभव परफेक्ट नहीं होते, वो असरदार होते हैं।

मोहित सूरी ने इस फिल्म से साबित कर दिया कि अगर कहानी में दम हो, और उसे सच्चाई के साथ परोसा जाए, तो न तो बड़े नामों की ज़रूरत होती है, न ही करोड़ों के बजट की।

Saiyaara सिर्फ एक फिल्म नहीं है, ये आज के दौर में एक रेयर चीज़ है — दिल से बनी फिल्म, जो दिल में जगह बना लेती है।

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