यह निर्णय उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लिया गया है कि राज्य के कुछ प्रमुख जिलों में 16 जुलाई से लेकर 23 जुलाई तक सभी स्कूल बंद रहेंगे। यह फैसला कांवड़ यात्रा के दौरान बढ़ने वाली भीड़ और सुरक्षा संबंधी कारणों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। हर साल सावन के महीने में लाखों कांवड़िए हरिद्वार, गंगोत्री और अन्य तीर्थ स्थलों से गंगाजल लेकर अपने गांव और शहरों तक लौटते हैं। इस पूरी यात्रा के दौरान उत्तर भारत की सड़कों पर असाधारण भीड़ उमड़ती है, जिससे यातायात ठप हो जाता है और आम जनजीवन भी प्रभावित होता है।
इस बार प्रशासन ने पहले से ही एहतियात बरतते हुए मेरठ, मुज़फ्फरनगर, सहारनपुर, शामली, बागपत जैसे जिलों में स्कूलों को अस्थायी रूप से बंद करने का आदेश दिया है। यह आदेश सभी सरकारी और अधिकतर निजी स्कूलों पर लागू होता है। कुछ जिलों में यह अवधि स्थानीय स्थिति के अनुसार और भी बढ़ाई जा सकती है। जिन स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा की सुविधा उपलब्ध है, वहां बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखने के प्रयास किए जाएंगे, लेकिन अधिकांश स्कूलों में कक्षाएं स्थगित रहेंगी।
कांवड़ यात्रा के दौरान सबसे बड़ा संकट सड़क यातायात का होता है। हाईवे से लेकर शहर की मुख्य सड़कों तक हजारों कांवड़िए पैदल चलते हैं, और इनमें से कई तेज़ रफ्तार ‘डाक कांवड़’ वाले भी होते हैं, जो मोटरसाइकिल या अन्य तेज़ वाहनों पर यात्रा करते हैं। ऐसी स्थिति में स्कूल बसों का चलना असंभव हो जाता है। बच्चों की सुरक्षा को खतरा होने की आशंका रहती है, और समय पर स्कूल पहुंचना या लौटना एक चुनौती बन जाता है। इसी वजह से प्रशासन ने यह निर्णय लिया है कि कुछ दिन स्कूलों को पूरी तरह बंद रखा जाए।
इसके अलावा, सुरक्षा बलों की अधिकांश तैनाती कांवड़ यात्रा की रूट और शिविरों पर की जाती है, जिससे स्कूलों के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कमजोर पड़ जाती है। पिछले वर्षों में कई ऐसे उदाहरण सामने आए हैं जहां मामूली कहासुनी से तनाव उत्पन्न हुआ और हालात बिगड़ गए। सरकार नहीं चाहती कि कोई अप्रिय घटना बच्चों या स्कूल स्टाफ को प्रभावित करे, इसलिए यह बंदी एक पूर्वसावधानी के रूप में की जा रही है।
छात्रों और अभिभावकों से अनुरोध किया गया है कि इस दौरान यात्रा करने से बचें और कांवड़ मार्गों से दूर रहें। यदि किसी कारणवश बाहर जाना जरूरी हो तो वैकल्पिक रास्तों की जानकारी पहले से ले लें। अभिभावकों को यह भी सलाह दी गई है कि वे अपने बच्चों को घर पर सुरक्षित रखें और स्कूल से मिलने वाले निर्देशों का पालन करें। अगर ऑनलाइन होमवर्क या कक्षाएं मिल रही हों, तो उन्हें गंभीरता से लिया जाए।
प्रशासन ने यह भी कहा है कि आम नागरिकों से सहयोग की अपेक्षा की जाती है। कांवड़ यात्रा के दौरान सड़कों पर नियमों का पालन करना, पुलिस के निर्देशों को मानना और धैर्य बनाए रखना ज़रूरी है। यह यात्रा धार्मिक आस्था से जुड़ी है लेकिन इसमें व्यवस्था बनाए रखना सभी की ज़िम्मेदारी बनती है। यदि कहीं कोई आपात स्थिति उत्पन्न हो, तो प्रशासन के हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क किया जा सकता है।
इस साल की कांवड़ यात्रा 16 जुलाई से प्रारंभ हुई है और 21 जुलाई को शिवरात्रि के अवसर पर इसका प्रमुख दिन माना जाएगा। उस दिन सबसे अधिक संख्या में कांवड़िए मार्गों पर होंगे। अनुमान है कि 23 जुलाई तक यात्रा का समापन हो जाएगा, जिसके बाद सामान्य स्थिति बहाल होगी और स्कूलों को फिर से खोल दिया जाएगा।
इस निर्णय के पीछे मुख्य उद्देश्य यही है कि छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और उन्हें किसी भी तरह के तनाव या खतरे से बचाया जा सके। सरकार का यह कदम दर्शाता है कि वह न केवल धार्मिक भावनाओं का सम्मान करती है, बल्कि साथ ही आम नागरिकों की सुरक्षा और सुविधा को भी प्राथमिकता देती है।
अगर आप उप्र के किसी ऐसे जिले में रहते हैं जहां स्कूल बंद किए गए हैं, तो आप अपने जिले की आधिकारिक वेबसाइट या स्थानीय समाचार चैनलों से ताज़ा जानकारी लेते रहें। किसी भी प्रकार की अफवाहों से बचें और केवल आधिकारिक स्रोतों पर विश्वास करें।
